आज हमारा किसान भाइयो से चर्चा का विषय है ब्रोकली कि खेती (Broccoli ki kheti) जिसमे हम यह चर्चा करेंगे कि ब्रोकली कि खेती से किसान भाई किस प्रकार अधिक लाभ कमा सकते है ओर किन – किन इलाकों मे यह कि जा सकती है, ब्रोकली कि खेती मे किन बातो का ध्यान रखे , बीज कौन सा ले, कितनी बीज दर रखे , किस जलवायु के लिए अधिक अच्छा है, बुआई का समय क्या है,ब्रोकली कि किस्मे, कौन सी भूमि ब्रोकली कि खेती के लिए अच्छी है, खाद कि मात्रा क्या रखे , रख -रखाव किस प्रकार करें, कोन से किट, रोग ब्रोकली को नुकसान पहुंचते है , ओर किस प्रकार उन्हें नियंत्रित करें , जैसे इन्ही सभी विषयो पर चर्चा करेंगे साथ ही किसान भाइयो को ब्रोकली के बारे मे अन्य जानकारी बाजार मांग, कहा बेचे, कैसे बेचे ओर कहा बेचने से अधिक लाभ मिलेगा, मार्केटिंग कैसे करें, ओर साथ ही लागत ओर उपज के बारे मे भी जानकारी देंगे |
ब्रोकली वह सब्जी है जिसे लोग सलाद के रूप मे कच्चा खाना अधिक पसंद करते है ब्रोकली बिलकुल दिखने मे फूलगोभी कि तरह होती है लेकिन ब्रोकली का रंग हरा होता है इसकी खेती भी ठीक फूलगोभी कि तरह ही होती है किसान भाई इसे आसानी से कर सकते है | ब्रोकली कि फसल के लिए ठंडी ओर आद्र जलवायु अच्छी होती है यह अधिकतर ठंडे इलाकों मे ही उगाई जाती है |
ब्रोकली कि खेती के लिए भूमि की तैयारी | Broccoli ke liye Bhumi ki teyari
ब्रोकली कि फसल लेने से पहले खेत कि एक बार गहरी जुताई ओऱ दो -तीन बार सादी जुताई करके भूमि को अच्छे से तैयार कर लेना चाहिए ओर बुआई के एक माह पूर्व उसमे 25-30 टन अच्छी तरह से सड़ा हुआ गोबर का खाद मिला देना चाहिए ब्रोकली कि फसल के लिए खेत को अच्छी तरह से भरभूरा बना लेना चाहिए खेत ऐसा होना चाहिए जिसका जल निकास अच्छा हो वैसे तो ब्रोकली कि खेती सभी स्थानों पर कि जा सकती है लेकिन इसका सबसे अच्छा उत्पादन अच्छे जल निकास वाली बलूई दोमट मिट्टी मे होता है इसीलिए मिट्टी का ध्यान अवश्य रखे ओर साथ ही खेत मे किसी भी तरह पानी का ठहराव नहीं होना चाहिए जल निकास उचित होना चाहिए फसल कि अच्छी पैदावार के लिए यह बहुत जरुरी है |
ब्रोकली कि बाजार मांग | Broccoli ki bazzar mang
ब्रोकली हरी सब्जी के अंतर्गत आती है इसीलिये लोग इसे अधिकतर सलाद के रूप मे खाना पसंद करते है ओर ब्रोकली कि अधिक मांग बड़े महानगरों, बड़े होटलो, ओर पर्यटक स्थलों पर इसकी मांग अधिक होती है इसके भाव सामान्य रूप से 30-50 रूपये / किलोग्राम के बीच रहता है ओर कभी कभी इससे भी अधिक होते है पर यदि किसान इसे अच्छी पकैजिंग करके बेचे तो अधिक लाभ कमा सकते है इसे अधिकतर उन किसानो को उगाना चाहिए जो बड़े महानगरो के पास हो क्योंकि ये छोटे बाज़ारो ओर क़सबो मे अधिक नहीं पाई जाती है ओर इसकी मांग भी इन छेत्रो मे काम होती है | यदि किसान भाई इसे उगा रहे है तो उन्हें इसे बेचने कि व्यवस्था पहले से कर लेना चाहिए |
ब्रोकली का महत्त्व | Broccoli ka mahatv
ब्रोकली एक प्रकार कि हरी सब्जी के अंतर्गत आती है जिसमे विषेश प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते है जो हमारे शरीर मे होने वाली कई बीमारियों से बचाते है ब्रोकली के फल मे केल्सियम, फसफोरस, जिँक ओर मेग्निशिएम आदि अच्छे मात्र मे पाए जाते है जो शरीर कि हड्डियों को मजबूत करते है ओर साथ ही इसके फल मे प्रोटीन भी अधिक मात्र मे पाया जाता है ब्रोकली को खाने से कई प्रकार कि बीमारियों से भी छुटकारा मिल जाता है ब्रोकली कैंसर ओर ह्रदय रोगों के लिए भी लाभदायक है |
ब्रोकली के लिए जलवायु | Broccoli ke liye jalvayu
ब्रोकली कि अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए ठंडा ओर आद्र जलवायु आवश्यक है पौधों कि वृद्धि के दौरान आदर्श तापमान 20-22°c होना चाहिए ब्रोकली को अधिकतर ठंडी जलवायु चाहिए |फूल तैयार होने के समय अधिक तापमान होने से फूल चित्तदार, पत्तेदार ओर पिले हो जाते है जिससे इसकी बाजार मे कीमत कम आती है इसलिए फूल आते समय तापमान अधिक अच्छा नहीं होता है | ब्रोकली कि खेती उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्र मे जाड़े के दिनों मे बड़ी सुगमता पूर्वक होती है ठन्डे क्षेत्र इसकी खेती के लिए उपयुक्त है | हिमाचल प्रदेश, उत्तराँचल, ओर जम्मू कश्मीर जैसे ठंडे क्षेत्रो मे इसकी खेती अधिक कि जाती है |
ब्रोकली के लिए खाद | Broccoli ke liye khad
खाद का प्रयोग करने से पूर्व किसान भाइयों को मिट्टी का परीक्षण करना चाहिए जिससे उन्हें यह पता चलेगा कि उनकी मृदा में किस पोषक तत्व की अधिकता है और किस पोषक तत्व की कमी है जिससे उन्हें खाद कि मात्रा तैयार करने मे मदद मिलेंगी |
गोबर कि खाद को 25-30 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बुआई से एक माह पूर्व खेत मे अच्छे से मिला देना चाहिए | नाइट्रोजन 100-120 किलोग्राम /हेक्टेयर इसमें इसे तीन भागो मे बाटकर फसल मे देते है इसका उपयोग करने से फसल कि अच्छी बढ़वार होती है ओर पत्तियों को हरा रखने मे सहायक है|फासफोरस 45-50 किलोग्राम / हेक्टेयर बुआई के समय या खेत कि तैयारी के समय उपयोग करते है,फासफोरस पौधों को मजबूत बनता है ओर जड़ो कि अच्छी वृद्धि करने मे सहायक है | पोटास का 30 किलोग्राम / हेक्टेयर कि दर से उपयोग करते है पोटास फसल कि रोगप्रतिरोधक क्षमता बनाने मे मदद करता है
ब्रोकली कि बुआई | Buai
बुआई का समय | Buai ka samay
सितम्बर के अंतिम सप्ताह से मार्च के पहले सप्ताह तक ब्रोकली कि खेती कि जाती है अक्टूबर ओर नवम्बर के माह मे ब्रोकली कि नर्सरी तैयार कि जाती है ब्रोकली उगाने का उपुक्त समय ठण्ड का ही होता है
बीजदर | Beejdar
ब्रोकली के बीज फूलगोभी कि तरह बहुत छोटे – छोटे होते है इसीलिये एक हेक्टेयर कि पौध तैयार करने के लिए 350-400ग्राम बीज कि अवश्यकता होती है |
ब्रोकली कि किस्म | Broccoli ki kism
भारत मे उगाई जाने वाली ब्रोकली कि उन्नत किस्मे –
- रॉयल ग्रीन,
- ग्रीन माउंटेन,
- प्रीमियम पूसा,
- प्रीमियम क्रॉप,
- डेन्यूब,
- युग्रैन,
- सेलिनास पिलग्रीम,
- रिजवान
- इजाजदेन,
- ग्रीन मैजिक ,
- ग्रीन समुराई,
- साकि,
- पूसा ब्रोकली, आदि ब्रोकली कि उन्नत किस्मे है |
ब्रोकली कि पौध तैयार करना | Broccoli ki poudh taiyar karna
ब्रोकली कि पौध तैयार करने का सही समय सितम्बर मध्य से नवम्बर के शुरू तक है , यदि किसान इस समय ब्रोकली कि पौध तैयार करें तो उत्पादन अच्छा होंगा | ब्रोकली कि पौध तैयार करने के लिए किसान बीज भंडार से अच्छी किस्म के बीज लाए ओर मिट्टी मे ब्रॉकली की पौध तैयार करेने के लिए अपने खेत के ही एक हिस्से मे या नर्सरी मे अपनी आवश्यकता के अनुसार एक क्यारी तैयार करें | क्यारी मे मिट्टी के साथ अच्छी सड़ी हुई गोबर कि खाद ओर कम्पोस्ट खाद मिलाकर एक बेड तैयार करें आपको जितने भूमि मे बुआई करना है उसके अनुसार क्यारी तैयार करें एक हेक्टेयर के लिए 350-400 ग्राम बीज पर्याप्त रहते है | क्यारी अच्छे से तैयार हो जाने के बाद उसमे बीज को पंक्तियों मे 4-5से.मी. कि दुरी पर ओर 2.5 से. मी. की गहराई मे बुआई करें ओर बुआई के बाद क्यारी को घास-फुस कि महीन परत से ढक दे ओर समय -समय पर हल्की – हल्की सिचाई करें ओर पौध निकलने पर घास फुस को हटा दे | नर्सरी मे पौधों को किट से बचाने के लिए नीम का काढ़ा या गोमूत्र का प्रयोग करें|
ब्रोकली कि नर्सरी भी ठीक फूलगोभी कि नर्सरी कि तरह ही तैयार कि जाती है | नर्सरी मे पौधों को लगभग एक माह तक रहने दे फिर उसे तैयार किये खेत मे लगा दे |
ब्रॉकली कि रोपाई | Broccoli ki ropai
नर्सरी मे जब पौधे 4-5 सप्ताह के हो जाये तो पौधों को तैयार किये गए खेत मे रोपाई करते है खेत मे पंक्ति से पंक्ति कि दुरी 15-60 से. मी. का अंतर रखके तथा पौधे से पौधे के बिच 45 से. मी. का फासला देके रोपाई कर दें | रोपाई करते समय ध्यान रखना चाहिए कि मिट्टी मे पर्याप्त नमी हो ओर रोपाई के बाद हल्की – हल्की सिचाई कर दें |
ब्रोकली मे सिचाई | Broccoli me sichai
खेत कि मिट्टी मौसम तथा पौधों कि बढ़वार को ध्यान मे रखकर ब्रोकली कि फसल मे लगभग 10-15 दिन के अंतर पर सिचाई करना चाहिए ओर अधिक गर्म तापमान होने पर 8-10 दिनों मे सिचाई करना चाहिए | ब्रोकली कि फसल के अच्छे उत्पादन के लिए ड्रिप सिचाई सबसे उपुक्त है यह फसल कि पैदवर ओर गुणवत्ता मे भी सुधार करती है ( ब्रोकली के सफल उत्पादन के लिए आवश्यक है कि खेत कि जल निकास व्यवस्था अच्छी हो )|
खरपतवार | Kharpatvar
खरपतवार ऐसे अवांछित पौधे जो खेत मे बिना उगाये ही उग आते है ओर फसल को नुकसान पहुंचते है , पौधों कि अच्छी बढ़वार ओर फसल कि अच्छी पैदवर के लिए आवश्यक है कि खरपतवरो को समय पर नियंत्रित किया जाये इसके लिए खेत मे समय – समय पर निराई गुडाई करते रहना चाहिए ओर मिट्टी चढ़ाना चाहिए जिससे सिचाई करने पर पौधे गिरते नहीं है ओर साथ ही इससे पौधों कि वृद्धि अच्छे से होंगी ओर अच्छा उत्पादन प्राप्त होंगा|
खरपतवार नियंत्रण के लिए किसान भाई खरपतवारनाशी का उपयोग कर सकते है या मालचिंग पेपर का भी उपयोग करके खरपतवार पर नियंत्रण प्राप्त कर सकते है |
ब्रोकली के प्रमुख रोग | Broccoli ke pramukh rog
1.)आद्र गलन (Damping off):-
यह एक गंभीर बीमारी है जो यदि आपके खेत मे आती है तो फसल को काफ़ी नुकसान पहुँचती है जो अधिक आद्रता, भारी वर्षा, कम तापमान ओर ख़राब जल निकास की स्थति मे अधिक होता है | नियंत्रण :- रोग कि स्थति मे बीज को थिरम या केपटान से 2.5-3 ग्राम / किलोग्राम बीज मे उपचारित करके बोना चाहिए ओर खेत मे जल निकास कि उचित व्यवस्था करना चाहिए |
2.)वाइट रस्ट (White rust):-
वाइट रस्ट एक मृदा जनित रोग है जो फंगस ( स्कलेरोटिनीयासेलेरोटोरियम फंगस ) के कारण होता है | यह रोग ब्रोकली कि बहारी पत्तियों के निचले सतह पर हमला करता है ओर पौधे अचानक मरने लगते है |
नियंत्रण :- यह कवक मिट्टी मे 15 से. मी. निचे गहराई मे जीवित नहीं रह सकता इसीलिए गहरी जुताई व्हाइट रस्ट को नियंत्रित करने मे मदद करती है | व्हाइट रस्ट को नियंत्रित करने के लिए मिट्टी को किसी भी बोविस्टिन जैसे कवकनाशी से उपचारित करना चाहिए|
ब्रोकली के प्रमुख किट | Broccoli ke pramukh kit
1.)कटवर्म (Cutworms ):-
इसके लार्वा का आकर लगभग 3-4 से.मी.लम्बा होता है, यह भूरे या हरे रंग का होता है ओर इसका लार्वा पौधों को काटता है,जिससे ब्रॉकली कि फसल मे काफ़ी नुकसान पहुँचता है |
नियंत्रण :-
• एमबेक्टिन बेंजोएट (Emamectin Benzoate )5% sg ( 30ग्राम / 100लीटर ) या लाऱविन (1ग्राम / 1लीटर ) या फिर कोराजन का स्प्रे कर सकते है | • ब्रॉकली कि फसल के साथ 25 पंक्तियों के बाद सरसो कि फसल कि जोड़ीदार कतार उगाये | • केटरपिलर की बढ़ोतरी को रोखने के लिए फेरोमोन ट्रैप का प्रयोग करें | • कटवर्म का अधिक प्रभाव होने पर रोगोंरोऱ ओर इंडोसलफान जैसे किटनशाको का 2-3 ml / लीटर पानी मे मिलके छिड़काव करना चाहिए |
2.)एफिड्स (Aphids) :-
एफीड्स छोटे , मुलायम शरीर वाले नाशपति के आकर जैसे कीड़े होते है जो ब्रॉकली की फसल के उत्पादन ओर गुणवत्ता को प्रभावित करते है |
नियंत्रण :-
• सरसो की फसल एफिड्स के लिए जाल फसल ( ट्रैप क्रॉप )के रूप मे कार्य करती है | एफिड्स किट को नियंत्रित करने के लिए नीम के तेल को 4% या ऑक्सीडेंमेटोन मिथाइल 0.02% स्प्रे करें | • एफिड्स के नियंत्रण के लिए कीटनाशक साबुन, बागवानी तेल और पाइरेथ्रिन का स्प्रे एफिड्स को नियंत्रित करने में प्रभावी हो सकते हैं। • हल्के संक्रमण के मामले मे, आम नर्म कीटनाशक साबुन का घोल या कीटनाशक तेल पर आधारित घोल का उपयोग करें, उदहारण के लिए नीम का तेल ( 3 मिली / लीटर )| • एफिड्स के नियंत्रण के लिए फ्लॉनिकमिद (40ग्राम / लीटर ) या सोलोमन का प्रयोग कर सकते है |
ब्रोकली कि कटाई | Broccoli ki katai
रोपाई के 80-90 दिनों के बाद ब्रॉकली कि फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है जब फसल का सर 3-6 इंच के आकर का हो जाये तो ब्रॉकली कि तुड़ाई करें | ध्यान रखे कि कटाई के समय गुच्छा खूब गुँथा हुआ हो तथा उसमे कोई कली खिलने ना पाए | ब्रॉकली को अगर तैयार होने के बाद देर से कटाई कि जाएंगी तो वह ढीली होकर बिखर जाएंगी तथा उसकी कली खिलकर पीला रंग दिखाने लगेंगी ऐसी अवस्था मे कटाई किये गए गुच्छे बाजार मे बहुत कम दाम पर बिक सकेंगी | मुख्य गुच्छा काटने के बाद ब्रॉकली के छोटे गुच्छे बिक्री के लिए तैयार हो जाएंगे |
ब्रोकली कि पैकेजिंग | Broccoli ki packaging
बाजार कि मांग के अनुसार ब्रॉकली को डिब्बे या प्लास्टिक के टोकरे मे पैक करें इससे किसान को अधिक लाभ मिलेगा ओर ब्रोकली अधिक समय तक अच्छी भी रहेंगी |
ब्रॉकली कि मार्केटिंग | Broccoli ki marketing
ब्रोकली की बड़े महानगरो , बड़े होटलो ओर पर्यटक स्थलों मे अधिक मांग होती है इसीलिए इसे इन्ही स्थानों पर बेचने से अधिक लाभ मिलेगा |
लागत व मुनाफा |Broccoli ki kheti me Lagat v munafa
ब्रोकली कि खेती मे किसान को 25-30 हजार रूपये प्रति एकड़ लागत आती है | ब्रोकली कि खेती अच्छे से करने पर खेत से किसान को लगभग 1 लाख तक का मुनाफा एक एकड़ से मिल जाता है जिसमे से उसकी लागत निकल के उसे 70-80 हजार रूपये लगभग मुनाफा प्राप्त होता है जो बाकि फसलों से काफ़ी अधिक है , किसान भाई ब्रोकली कि खेती करके अधिक लाभ कमा सकते है |